पितरों की स्मृति को चिरजीवी बनाने के लिए इंदौर के तत्कालीन महापौर और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने 2002 में इंदौर के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित देवधरम पहाड़ी को 'पितृ पर्वत' के रूप में विकसित करने संकल्प लिया था । एक न्यास के माध्यम से पूर्ण की जाने वाली इस संकल्पना में तय किया गया था कि 'पितृ पर्वत' को एक लाख पौधे लगाकर विकसित किया जाएगा।
समाज की भूमिका के महत्व को देखते हुए यह तय किया गया कि लोग स्वयं अपने पितरों की स्मृति में फलदार और छायादार पौधों को लगाएं। नई शताब्दी के पहले दशक के मध्य में इंदौर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वास्तु सम्मेलन के दौरान यह बात सामने आई कि शहर में वास्तु दोष है जो सरस्वती, कान्ह और चंद्रभागा नदियों के समाप्त हो जाने से उत्पन्न हुआ है। इसे ठीक करने के लिए इंदौर के किसी हिस्से में हनुमानजी की अष्ट धातु की प्रतिमा स्थापित की जानी चाहिए। श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने तभी से इस योजना का संकल्प लेकर कार्य आरंभ किया ।