संकट कटे मिटे सब पीड़ा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा
श्री पितरेश्वर हनुमान धाम की विशेषताएं:-
- पितरों की स्मृति में यहाँ एक लाख पौधारोपण किया गया है।
- श्री पितरेश्वर हनुमान जी की प्राण-प्रतिष्ठा कर उन्हें जागृत किया गया है।
- यहां प्राचीन शिव मंदिर है जिसका जीर्णोद्धार होने के बाद ही धाम का निर्माण पूर्ण हो पाया।
- यहां प्राचीन सिद्ध भैरव मंदिर है। मान्यता है कि भैरव की उत्पत्ति शिव के रुधिर से हुई थी।
- यहां हनुमान जी की दो प्रतिमाएँ विराजित हैं- पूजनीय और दर्शनीय। दोनों का अपना विशेष महत्व है।
- पूजनीय प्रतिमा में माता अंजनी हनुमानजी को गोद में लिए हुए हैं। कहा जाता है रात्रि में हनुमानजी माता की गोद में विश्राम करते हैं।
- दर्शनीय प्रतिमा अष्टधातु से निर्मित है जो 108 टन वज़नी है। इसकी चौड़ाई 54 फ़ीट और ऊँचाई 71 फ़ीट है।
- दर्शनीय प्रतिमा में हनुमान जी बैठकर प्रभु श्रीराम के कीर्तन में लीन हैं। विश्व में हनुमानजी की बैठी हुई सबसे बड़ी प्रतिमा है।
- यह प्रतिमा अष्टधातु से निर्मित दुनिया की सबसे ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है।
- पितरेश्वर हनुमान पीड़ा हरने वाले, मनोकामना पूर्ण करने वाले संकटमोचक माने जाते हैं।
- पितरेश्वर हनुमान की इस दर्शनीय प्रतिमा को पूर्ण करने में 125 कारीगरों को 7 वर्ष का समय लगा।
- प्रतिमा को ग्वालियर से 264 भागों में लाया गया था जिसे जोड़ने में कारीगरों को 3 वर्ष का समय लगा।
- प्रतिमा पर 7 चक्र मौजूद हैं जिनसे ब्रह्मांड की ऊर्जा प्रवाहित होती है।
- श्री पितरेश्वर हनुमान जी से जो भी भक्त सच्चे मन से जो कुछ मांगते हैं, हनुमान जी उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं।